सन्त रैदास इनके गुरु माने जाते हैं। मीरां के पद शताब्दियों से पाठकों और श्रोताओं के आकर्षण का विषय बने हुए हैं। यह पुस्तक उनके जीवन और साहित्य के सभी पक्षों को उद्घाटित करने का प्रयास करती है। यह पाठकों के लिए लाभप्रद होगी-ऐसा हमें विश्वास है।
About the Author:राजस्थान में जन्मे माधव हाड़ा हिन्दी के प्रसिद्ध आलोचक हैं। मीरां को लगातार पढ़ते और गुनते रहे हैं। पहले भी मीरां पर विस्तृत काम - पचरंग चोला पहर सखी री (2015), मीरां वर्सेज़ मीरां (2020)। इनकी अन्य पुस्तकें हैं— मुनि जिनविजय (2016), सीढ़ियाँ चढ़ता मीडिया (2012), मीडिया, साहित्य और संस्कृति (2006), कविता का पूरा दृश्य (1992) और तनी हुई रस्सी पर (1987)। इसके अतिरिक्त इन्होंने अनेक पुस्तकों का सम्पादन किया है।