कुमार मेरा सखा पुस्तक मुम्बई के मूर्धन्य गायक तथा संगीतज्ञ स्व. पं. (डॉ.) चन्द्रशेखर रेळे ने वरिष्ठ पत्रकार सारंग दर्शने से मौखिक रूप में कही और सारंग दर्शने ने इसका मराठी शब्दांकन किया।
About the Author:पं. (डॉ.) चन्द्रशेखर (उपाख्य बाबूराव) रेळे जन्म : २९ अप्रैल १९२७ निधन : १६ अप्रैल २०१० मुम्बई निवासी मूर्धन्य गायक तथा संगीतज्ञ । पेशे से रेळे जी वकील रहे और लेबर लॉ में उनकी विशेष प्रैक्टिस थी। मुम्बई के श्रेष्ठ संगीतज्ञ शिक्षक प्रो. बी.आर. देवधर जी के देवधर स्कूल ऑफ़ इण्डियन म्युजिक में पण्डित कुमार गन्धर्व और पण्डित चन्द्रशेखर रेळे इन दोनों की सांगीतिक परवरिश बचपन से एकसाथ हुई और वहीं से वे एक दूसरे के निकटतम मित्र हुए। पं. (डॉ.) चन्द्रशेखर रेळे जी ने संगीत साधना के साथ संगीत के बारे में संशोधन और लेखन भी किया। उनकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हुईं। १९९३ में उनकी बन्दिशों का संग्रह गुंजन प्रकाशित हुआ। तत्पश्चात् १९९९ में स्वरप्रवाह नामक संशोधन ग्रन्थ प्रकाशित हुआ, जिसमें उन्होंने हिन्दुस्तानी राग संगीत के परिदृश्य का मांड, कल्याण, गौड़, बिलावल इन चार प्रवाहशील सरिताओं के रूप में विवेचन किया। इस मौलिक कार्य के लिए उन्हें मुम्बई विश्वविद्यालय ने डी. लिट् की उपाधि से नवाजा। उनकी तीसरी पुस्तक कुमार माझा सखा जिसमें कुमार गन्धर्व जी के बारे में आत्मीय संस्मरण है, वह अब हिन्दी में अनूदित होकर पाठकों के सामने है। पं. सत्यशील देशपाण्डे द्वारा संचालित, संवाद फाउण्डेशन, मुम्बई से वे जुड़े रहे, जिन्होंने उनके गायन, सप्रयोग व्याख्यान तथा लेखन को सँजोया है।