Kahan Aa Gaye Hum Vote Dete-Dete? -Ravibhushan

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Kahan Aa Gaye Hum Vote Dete-Dete? By Ravibhushan

रविभूषण अपने समय और समाज के ज्वलन्त मसलों और सवालों से टकराते हैं, साथ ही राजनीति और प्रशासन के बीच व्याप्त भ्रष्टाचार और आपराधिक अवसरवाद पर गंभीर प्रश्न भी खड़े करते हैं। 

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रविभूषण अपने समय और समाज के ज्वलन्त मसलों और सवालों से टकराते हैं, साथ ही राजनीति और प्रशासन के बीच व्याप्त भ्रष्टाचार और आपराधिक अवसरवाद पर गंभीर प्रश्न भी खड़े करते हैं। उनका अधिकांश लेखन, विशेष रूप से इस संकलन में शामिल आलेख, एक सजग और ईमानदार पत्रकार के लिखे जैसा ही है। फिर भी, इन्हें पत्रकारिता या पत्रकारीय लेखन के दायरे में नहीं रखा जा सकता। यह इससे कुछ अलग और अधिक है। इस संग्रह में 16 मई 20१४ के बाद से अबतक की घटनाओं पर केन्द्रित आलेख शामिल हैं।About the Author:

रविभूषण अपने समय और समाज के ज्वलन्त मसलों और सवालों से टकराते हैं, साथ ही राजनीति और प्रशासन के बीच व्याप्त भ्रष्टाचार और आपराधिक अवसरवाद पर गंभीर प्रशन भी खड़े करते हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित लेखन। समय और समाज को केंद्र में रखकर साहित्य एवं साहित्येतर विषयों पर विपुल लेखन।

SKU: kahan-aa-gaye-hum-vote-dete-dete-Paperback
Category:
ISBN

9789392228810

Authors

Ravibhushan

Binding

Paperback

Pages

392

Publication date

23-05-2022

Publisher

Setu Prakashan Samuh

Imprint

Setu Prakashan

Language

Hindi

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