Gangatat By Gyanendrapati

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ज्ञानेन्द्रपति गंगातट को किसी स्थापत्यवादी सैलानी की तरह नहीं देखते। वे एक भूगोल को उसकी सामाजिक-सांस्कृतिक अंतर्वस्तु के पेचोखम के साथ देखते हैं और अगर यह भूगोल काशी-बनारस जैसा कई संस्तरों वाला नगर हो तब तो नगरीय हदों में खुद बेहद और अनहद हुआ जा सकता है।

About the Author:

जन्म झारखण्ड के एक गाँव पथरगामा में, पहली जनवरी, 1950 को, एक किसान परिवार में। पटना विश्वविद्यालय से पढ़ाई। दसेक वर्षों तक बिहार सरकार में अधिकारी के रूप में कार्य। नौकरी को ना करी कह, बनारस में रहते हुए, फ़क़त कविता-लेखन। प्रकाशित कृतियाँ : आँख हाथ बनते हुए (1970) शब्द लिखने के लिए ही यह काग़ज़ बना है (1981) गंगातट (2000), संशयात्मा (2004), भिनसार (2006), कवि ने कहा (2007) मनु को बनाती मनई (2013), गंगा-बीती (2019), कविता भविता-2020 (कविता-संग्रह), एकचक्रानगरी (काव्य-नाटक) पढ़ते-गढ़ते (कथेतर गद्य) भी प्रकाशित। संशयात्मा के लिए वर्ष 2006 का साहित्य अकादेमी पुरस्कार। समग्र लेखन के लिए पहल सम्मान, शमशेर सम्मान, नागार्जुन सम्मान आदि कतिपय सम्मान।

SKU: gangatat-by-gyanendrapati
Category:
ISBN

9789391277093

Author

Gyanendrapati

Binding

Paperback

Pages

248

Publication date

10-04-2022

Publisher

Setu Prakashan Samuh

Imprint

Setu Prakashan

Language

Hindi

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