Yeh Premchand Hain By Apoorvanand
₹319.00₹399.00
Yeh Premchand Hain By Apoorvanand
यह प्रेमचंद हैं – अपूर्वानंद
प्रेमचंद का पूरा साहित्य मनुष्यता की संभावना के ऐसे प्रमाणों का दस्तावेज है। इंसान हुआ जा सकता है, इंसाफ की आवाज़ सुनी जा सकती है, मोहब्बत मुमकिन है और बहुत मुश्किल नहीं, अगर कोशिश की जाए। मनुष्यता का यह अभ्यास करना ही होगा और उस अभ्यास में हमें हौसला बँधाते हमारे बगल में हमेशा प्रेमचंद खड़े मिलेंगे।
In stock
About the Author:
आलोचना अपूर्वानंद का व्यसन है। आलोचना अपने व्यापक अर्थ और आशय में । आलोचना का लक्ष्य पूरा मानवीय जीवन है, साहित्य जिसकी एक गतिविधि है। इसलिए शिक्षा, संस्कृति और राजनीति की आलोचना के बिना साहित्य की आलोचना संभव नहीं। लेखक के साहित्यिक आलोचनात्मक निबंधों के दो संकलन, ‘सुंदर का स्वप्न’ और ‘साहित्य का एकांत’, ‘यह प्रेमचंद हैं’ प्रकाशित हैं। कुछ समय तक आलोचना’ पत्रिका का संपादन।
ISBN | 9789389830880 |
---|---|
Author | Apoorvanand |
Binding | Paperback |
Pages | 406 |
Publisher | Setu Prakashan Samuh |
Imprint | Setu Prakashan |
Language | Hindi |
Customer Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Yeh Premchand Hain By Apoorvanand”
You must be logged in to post a review.