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बल्ली चीमा जी एक ऐसे जनकवि हैं जिन्होंने अपने शब्दों से चिंगारियाँ उछालकर मशालें जलायी हैं। ले मशालें चल पड़े हैं- जनगीत सभी आन्दोलनकारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर रहा है। चीमा जी ने एक वर्ष तक किसान आन्दोलन में सक्रिय रहकर दो भूमिकाएँ एकसाथ निभायी हैं- किसान की और कवि की। आत्महत्या ही नहीं किसानों क...

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बल्ली चीमा जी एक ऐसे जनकवि हैं जिन्होंने अपने शब्दों से चिंगारियाँ उछालकर मशालें जलायी हैं। ले मशालें चल पड़े हैं- जनगीत सभी आन्दोलनकारियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर रहा है। चीमा जी ने एक वर्ष तक किसान आन्दोलन में सक्रिय रहकर दो भूमिकाएँ एकसाथ निभायी हैं- किसान की और कवि की। आत्महत्या ही नहीं किसानों की हर समस्या, हर सवाल को उनके गीतों ने बेबाकी से उजागर किया है; सामाजिक कटिबद्धता, विचारों की व्यापकता तथा गहराई से लिखे उनके हर गीत से होगा नया जागर किसानी बचाने का। बल्ली जी की शब्दबद्ध भावना और विचार बनेंगे किसान आन्दोलन के नये दौर का आधार ।

About the Author:

जन्म : 2 सितम्बर 1952, अमृतसर जिले की चभाल तहसील के चीमा खुर्द गाँव में। शिक्षा : हाईस्कूल, प्रभाकर । व्यवसाय: खेती प्रकाशन : ख़ामोशी के ख़िलाफ़ (1980), "जमीन से उठती आवाज़ (1990), तय करो किस ओर हो (1998), हादसा क्या चीज़ है (2012), उजालों को ख़बर दो (2019)। देश की सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में लगातार रचनाएँ प्रकाशित। सम्मान : कुमाऊँ गौरव सम्मान 2005 हल्द्वानी (उत्तराखण्ड); कविता कोश सम्मान 2011 जयपुर (राजस्थान); गिरीश तिवारी गिर्दा सम्मान मार्च 2012 अगस्त्यमुनि (उत्तराखण्ड); राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा गंगाशरण सिंह पुरस्कार राष्ट्रपति भवन, जून 2012; ‘आचार्य निरंजननाथ पुरस्कार 2014 काँकरोली, जिला राजसमंद (राजस्थान) ।

ISBN: 9789380441825
Author: BALLI SINGH CHEEMA
Binding: Hardcover
Pages: 96
Publication date: 25-02-2023
Publisher:
Imprint: Setu Prakashan
Language: Hindi