Deh Kutharia By Jaya Jadwani
₹280.00₹350.00
Deh Kutharia By Jaya Jadwani
ट्रांसजेण्डरों की ज़िंदगी इतनी ही नहीं है, जितनी हम देखते हैं या जितना अनुमानतःसमझते हैं। देह कुठरिया
उपन्यास हमें ऐसे मानव-समूहों से जोड़ता है जो सामाजिक उपेक्षा के शिकार रहे हैं। जो मनुष्य होकर भी मनुष्य नहीं हैं।
इस पुस्तक पर २०% की विशेष छूट,
ऑफर ३० अप्रैल २०२४ तक वैध
In stock
उपन्यास की भाषा इसकी रोचकता और संवेदना दोनों का विस्तार करता है। उपन्यासकार ने ट्रांसजेण्डरों की भाषा, उसकी शैली को यथारूप रखा है। उनके अपने शब्द हैं, अपने शब्दकोश। उसका सामान्यीकरण या साधारणीकरण करने का प्रयास नहीं किया है। ट्रांसजेण्डरों द्वारा प्रयुक्त शब्द उनके प्रति समझ का विस्तार करते हैं। अपनी भाषा और अपने कथावस्तु के आधार पर जया जादवानी द्वारा लिखित यह उपन्यास निश्चित रूप से पठनीय है।
About the Author:
जन्म : 1 मई, 1959 को कोतमा, जिला शहडोल (मध्य प्रदेश) शिक्षा : एम.ए. हिंदी और मनोविज्ञान कृतियाँ : ‘मैं शब्द हूँ’, ‘अनंत संभावनाओं के बाद भी’, ‘उठाता है कोई एक मुट्ठी ऐश्वर्य’ (कविता-संग्रह); ‘पहिंजी गोल्हा में’ (सिंधी कवितासंग्रह); ‘मुझे ही होना है बार-बार’, ‘अंदर के पानियों में कोई सपना काँपता है’, ‘उससे पूछो’, ‘मैं अपनी मिट्टी में खडी हूँ काँधे पे अपना हल लिये’, ‘अनकहा आख्यान’ (कहानी-संग्रह); बर्फ जा गुल’, ‘खामोशियों के देश में’ (सिंधी कहानी-संग्रह); ‘समन्दर में सूखती नदी’, ‘ये कथाएँ सुनायी जाती रहेंगी हमारे बाद भी’ (प्रतिनिधि कहानी-संग्रह); ‘तत्वमसि’, ‘कुछ न कुछ छूट जाता है’, ‘देह कुठरिया’ (उपन्यास); ‘मिठो पाणी खारो पाणी’ (यह उपन्यास सिंधी में भी प्रकाशित); ‘हिन शहर में हिकु शहर हो’ (सिंधी उपन्यास); ‘जे. कृष्णमूर्ति to हिमसेल्फ’ (हिंदी अनुवाद)। अन्य : ‘अंदर के पानियों में कोई सपना काँपता है’ पर ‘इंडियन क्लासिकल’ के अंतर्गत एक टेलीफिल्म का निर्माण। अनेक रचनाओं का अंग्रेजी, उर्दू, पंजाबी, उड़िया, सिंधी, मराठी, बंगाली भाषाओं में अनुवाद। कई कहानियों के नाट्य रूपांतरण ऑल इंडिया रेडियो, दिल्ली से प्रसारित। सम्मान : मुक्तिबोध सम्मान, ‘मिठो पाणी खारो पाणी’ पर कुसुमांजलि सम्मान 2017, कथा क्रम सम्मान 2017, कहानियों पर गोल्ड मैडल… व कई अन्य छोटे-बड़े सम्मान।
ISBN | 9788195218448 |
---|---|
Author | Jaya Jadwani |
Binding | Paperback |
Pages | 280 |
Publisher | Setu Prakashan Samuh |
Imprint | Setu Prakashan |
Language | Hindi |
Customer Reviews
There are no reviews yet.
You may also like…
-
Humnawai Na Thi by Tasneem Khan
हमनवाई न थी शुरू से आखीर तक एक प्रेम कथा
है। लेकिन तसनीम खान के इस उपन्यास को ढेर
सारी प्रेम कथाओं की कतार में नहीं रखा जा सकता।
क्योंकि यह निरी प्रेम कथा नहीं है, हमारे समकाल में
छाये एक ख़ौफ का ख़ामोश प्रतिकार भी है। इस प्रेम
कथा में प्रेमी हिन्दू है और प्रेमिका मुस्लिम । प्रेमी
यानी शिवेन और प्रेमिका यानी सनम उस्मानी का
प्यार कालेज के दिनों में परस्पर आकर्षण से शुरू
होता है और फेसबुक तथा वाट्सऐप के जरिए परवान
चढ़ता है।Buy This Book Instantly thru RazorPay (20% + 5% extra discount)
Or use Add to cart button to use our shopping cart
₹325.00 -
Vaasavdutta (Novel) By Mahendra Madhukar
प्रसिद्ध कवि, कथाकार और आलोचक डॉ. महेंद्र मधुकर का प्रस्तुत उपन्यास ‘वासवदत्ता’ राजा उदयन और राजकुमारी वासवदत्ता की ऐतिहासिक प्रेम-गाथा है, जो ढाई हजार वर्षों से भी अधिक समय से लोक कण्ठों में गूँजती रही है। कालिदास के भी पूर्व नाटककार भास ने ‘स्वप्न वासवदत्ता’ और ‘प्रतिज्ञा यौगन्धरायण’ जैसे नाटकों में इस प्रेम-गाथा का ताना- बाना रचा है। कवि कालिदास ने अपने ‘मेघदूत’ के तीसवें श्लोक में उदयन के प्रेम की मधुर कथा की चर्चा की है।
वास्तव में प्रेम एक अशब्द अनुभव है, जो पुरुष या स्त्री के मन में समान रूप से पल्लवित होता है। स्त्री राजनीति या साम्राज्यवाद का मोहरा नहीं बल्कि यज्ञ की अग्नि की तरह धधक उठने वाली ज्वाला है। उदयन वीर और रोमाण्टिक नायक के रूप में अपनी घोषवती वीणा के साथ प्रस्तुत होते हैं और कला ही प्रेम का सूत्रपात करती है। यहाँ प्रेम है तो पीड़ा है और इस पीड़ा में अद्भुत आनन्द का अनुभव होता है।महेंद्र मधुकर का यह उपन्यास आपकी अन्तरात्मा को द्रवित करेगा और इस उपन्यास की भाषा का प्रवाह आपको अपने साथ दूर तक बहा ले जाएगा।Buy This Book with 1 Click Via RazorPay (15% + 5% discount Included)
₹375.00 -
Mukkam Vashi : Kumar Gandharava Se Batcheet
कुमार गन्धर्व उन विरले शास्त्रीय संगीतकारों में से रहे हैं जिन्होंने समझ और संवेदना से, साहस और निर्भीकता से संगीत के बारे में गहन चिन्तन किया; और परम्परा, उत्तराधिकार व अन्य कलाओं के साथ संवाद, रसिकता, समकालीनता आदि का प्रश्नांकन भी किया। उनके संगीत में, उसकी सघनता, व्याप्ति और वितान में इस प्रश्नांकन ने बड़ी सर्जनात्मक भूमिका निभायी है। उनका सांगीतिक सौन्दर्य गहरे और लम्बे वैचारिक संघर्ष की आभा से उपलब्ध और आलोकित हुआ है। उनके यहाँ विचार निरा विचार नहीं रागसिक्त विचार है; उनके यहाँ राग वैचारिक कर्म भी है। I उन्होंने रसिकों, संगीतकारों आदि के साथ जो लम्बी बातचीत की थी वह मराठी में थी । कुमार शती के अवसर पर रज़ा फ़ाउण्डेशन संगीत- चिन्तन की इस मूल्यवान् पुस्तक को हिन्दी अनुवाद में प्रस्तुत करते हुए कृतकार्य अनुभव करता है।
– अशोक वाजपेयी
Buy This Book Instantly thru RazorPay (15% + 5% extra discount Included)₹399.00 -
Kit Kit By Anu Shakti Singh
मन की नदियों, हवाओं, चुप्पियों, कथाओं को रचना
में रूप देने के लिए रियाज़ के साथ आत्मसंयम व
कलात्मक अभिव्यक्ति का सन्तुलन वांछित होता है,
तब एक रचना अपना प्रसव ग्रहण करने को उन्मुख
होती है। जो कलाकार इस गहरे बोध से परिचित होते हैं
वे गति से अधिक लय को भाषा में समाने का इन्तज़ार
करते उसे अपना रूप लेने देते हैं। लय, जो अपनी
लयहीनता में बेहद गहरे और अकथनीय अनुभव ग्रहण
करती है उसे भाषा में उतार पाना ही कलाकार की
असल सिद्धि है। अणु शक्ति ने अपने इस नॉवल में
टीस की वह शहतीर उतरने दी है। यह उनके कथाकार
की सार्थकता है कि नॉवल में तीन पात्रों की घुलनशील
नियति के भीतर की कशमकश को उन्होंने दृश्य बन
कहन होने दिया है। स्त्री, पर-स्त्री, पुरुष, पर-पुरुष,
इनको हर बार कला में अपना बीहड़ जीते व्यक्त करने
का प्रयास होता रहा। हर बार रचना में कुछ अनकही
अनसुनी कतरनें छितराती रही हैं। वहाँ प्रेम और
अकेलापन अपने रसायन में कभी उमड़ते हैं कभी
घुमड़कर अपनी ठण्ड में किसी अन्त में चुप समा जाते
हैं। अणु शक्ति इन मन:स्थितियों को बेहद कुशलता से
भाषा में उतरने देती हैं व अपनी पकड़ को भी अदृश्य
रखने में निष्णात साबित हुई हैं।Buy This Book Instantly thru RazorPay
(15% + 5% Extra Discount Included)₹249.00
Be the first to review “Deh Kutharia By Jaya Jadwani”
You must be logged in to post a review.