Sabhyata Ki Yatra : Andhere Mein

(4.4) Amitabh Ray

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अँधेरे में', मुक्तिबोध की लम्बी कविता पर।अमिताभ राय का यह लम्बा विनिबन्ध 20वीं सदी और उसके आगे की जीवनगत रचनाओं का सूक्ष्म विश्लेषण है। विश्लेषण का शिल्प पाठ की प्रविधि में है। पाठ की गहरी संलग्नता को यहाँ देखा जा सकता है। अमिताभ ने गैर अकादमिक बर्ताव के साथ इस कृति में अपने अन्तःकरण को समीक्षा की दृष्टि से...

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अँधेरे में', मुक्तिबोध की लम्बी कविता पर।अमिताभ राय का यह लम्बा विनिबन्ध 20वीं सदी और उसके आगे की जीवनगत रचनाओं का सूक्ष्म विश्लेषण है। विश्लेषण का शिल्प पाठ की प्रविधि में है। पाठ की गहरी संलग्नता को यहाँ देखा जा सकता है। अमिताभ ने गैर अकादमिक बर्ताव के साथ इस कृति में अपने अन्तःकरण को समीक्षा की दृष्टि से विकसित किया है। अमिताभ राय ने 'अँधेरे में' का चयन कर एक तरह से साहस का परिचय दिया है। इस कविता के सिरे उनकी बाकी लम्बी कविताओं से जुड़ते हैं। उनके प्रतीक और बिम्ब एक प्रक्रिया में अन्तःसंघर्ष के रास्ते इस कविता में खुलते हुए अपना अर्थ उद्घाटित करते हैं। अँधेरे के भीतर कई जटिल प्रतीक और मिथक हैं और उनकी इमेज़री धूसर, स्याह, राखड़ी, इस्पाती, काली नीली, तेलिया और धुएँली आदि हैं। इनसे वस्तु से अन्तर्वस्तु का रास्ता खोजना था जो लेखक ने अपनी शक्ति भर किया है। यूँ तो अँधेरे में' के अनेक पाठ उपलब्ध हैं लेकिन यह अपनी तरह का पाठ है और पाठ का विस्तार 150 से अधिक पृष्ठों में है। इसमें मुक्तिबोध के 'स्व', 'मैं' और 'वह' को अनेक तरह से उद्घाटित करने का उपक्रम है। कवि के भय, संशय, उद्विग्नता, बेचैनी की शिनाख्त उनके इस विनिबन्ध में अधिक पारदर्शी और पुष्ट ढंग से रूपाकार ले लेते हैं। लेखक ने कविता में कवि लक्षित अनेक विचारों की यात्रा से गुजरते हुए उनके विजन को भी प्रकाशित करने का कार्य किया है। इस तरह बनेबनाए फ्रेम से बाहर जो अलक्षित मुक्तिबोध हैं, लेखक ने उन्हें भी अन्वेषित करने का यत्न किया है। विशेष रूप से मुक्तिबोध के पाठकों, शोधार्थियों और छात्रों के लिए यह किताब अनिवार्य होगी, ऐसा मेरा विश्वास है।

About the Author:

जन्म : 7 जून, 1980, पटना, बिहार। शिक्षा : पी-एच.डी., दिल्ली विश्वविद्यालय से। प्रकाशन : सुमित्रा कुमारी सिनहा पर एक मोनोग्राफ लिखा है। बाकी सारा लिखा पत्र-पत्रिकाओं में। तद्भव, पहल, समीक्षा, वसुधा, लमही, नया ज्ञानोदय एवं वागर्थ आदि पत्र-पत्रिकाओं में आलोचनात्मक लेख प्रकाशित। लमही के दो उपन्यास विशेषांकों का अतिथि सम्पादन। 'समीक्षा' के सम्पादन से सम्बद्ध। पुरस्कार : देवीशंकर अवस्थी सम्मान (2017), सीताराम शास्त्री सम्मान (2018) संप्रति : श्यामलाल कॉलेज में सहायक प्राध्यापक।

ISBN: 9788194091004
Author: Amitabh Ray
Binding: Paperback
Pages: 152
Publication date:
Publisher: Setu Prakashan Samuh
Imprint: Setu Prakashan
Language: Hindi