Blogs

अशोक वाजपेयी की कविताएँ, विपुला च पृथ्वी.......(साभार ओम निश्चल की फेसबुक वॉल से)
संसार में कितनी तरह की कविताएं लिखी जाती हैं। देश काल परिस्थिति को छूती और कभी कभार उसके पार जाती हुई। कभी दुख कभी सुख कभी आह्लाद कभी विषाद कभी शोक कभी अपार भावविह्वलता से भरी कितनी तरह की कविताओं से हम आए दिन गुजरते हैं। हमारे हर क्षण के मनोविज्ञान से उलझती हुई

स्मृति का उजाला (तद्भव पत्रिका (अंक 43) में छपी पुस्तक 'अगले वक़्तों के हैं ये लोग' की समीक्षा)
संस्मरण क्यों लिखे जाते हैं? क्या उनके बहाने अपने पूर्वजों का ऋण स्वीकार करना ही संस्मरणों का उद्देश्य होता है? क्या वे जितनी संस्मृतों के बारे में होते हैं लगभग उतने ही संस्मरणकार के बारे में भी? क्या संस्मरणों से इतिहास की अपेक्षा करना अनुचित है? कवि और आलोचक अशोक वाजपेयी के संस्मरणों की पुस्तक अगले वक्तों के हैं ये लोग

मोहब्बत और इंक़लाब के प्रतीक कैसे बने फ़ैज़
बीसवीं सदी के कई ऐसे कवि और शायर हुए जो देखते-देखते एक मिथक में बदल गये और प्रतिरोध के प्रतीक बन गये, चाहे निराला हों या मुक्तिबोध या पाब्लो नेरुदा या नाजिम हिकमत। फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ एक ऐसे ही शायर थे जो भारतीय उपमहाद्वीप ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया मे इंक़लाब के शायर बन गये।

रेणु जी के जीवन की महागाथा का अप्रतिम दस्तावेज़
फणीश्वरनाथ रेणु जी की जन्म शताब्दी के अवसर पर उनके अनन्य भक्त ,रेणु साहित्य के गहन अध्येता और लेखक प्रोफेसर भारत यायावर द्वारा रचित रजा फाउंडेशन के सहयोग से सेतु प्रकाशन द्वारा प्रकाशित पुस्तक "रेणु एक जीवनी" वास्तव में आंचलिक साहित्य के लिए विख्यात रेणु जी के जीवन की महा गाथा का अप्रतिम दस्तावेज़ हैl

जगत् और जागृति के लेखक : हजारीप्रसाद द्विवेदी
2005 में बी एच यू, वाराणसी के हिन्दी विभाग में लगभग एक दर्जन अध्यापकों की नियुक्ति हुई थी। नियुक्त करने में नामवर सिंह की मुख्य भूमिका थी। हिन्दी विभाग उम्मीदों से चमक उठा था। लम्बे समय से चली आ रही उदासी छँटी थी और नवनियुक्तों की क्षमता पर भरोसा जताया जा रहा था। लगने लगा था कि अब यह विभाग फिर से नए-नए मुकाम हासिल करेगा। इस घटना के सत्रह बरस गुज़र चुके हैं और कहा जा सकता है कि इस बीच विभाग की उपलब्धियाँ बढ़ी हैं।

‘पेरियार ई. वी. रामासामी, à¤à¤¾à¤°à¤¤ के वॉलà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤°â€™ किताब रूप में लेखक ओमपà¥à¤°à¤•ाश कशà¥à¤¯à¤ª ने हिंदी पटà¥à¤Ÿà¥€ को à¤à¤• बड़ी बौदà¥à¤§à¤¿à¤• पूंà
जनचौक के पोरà¥à¤Ÿà¤² पर छपी समीकà¥à¤·à¤¾