Criticism
‘पेरियार ई. वी. रामासामी, à¤à¤¾à¤°à¤¤ के वॉलà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤°â€™ किताब रूप में लेखक ओमपà¥à¤°à¤•ाश कशà¥à¤¯à¤ª ने हिंदी पटà¥à¤Ÿà¥€ को à¤à¤• बड़ी बौदà¥à¤§à¤¿à¤• पूंà
‘पेरियार ई. वी. रामासामी, à¤à¤¾à¤°à¤¤ के वॉलà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤°â€™ किताब रूप में लेखक ओमपà¥à¤°à¤•ाश कशà¥à¤¯à¤ª ने हिंदी पटà¥à¤Ÿà¥€ को à¤à¤• बड़ी बौदà¥à¤§à¤¿à¤• पूंजी सौंपी है, जिसकी हिंदी पटà¥à¤Ÿà¥€ को बहà¥à¤¤ जरूरत थी।
सामाजिक तौर पर हिंदी पटà¥à¤Ÿà¥€ à¤à¤¾à¤°à¤¤ के सबसे पतनशील सांसà¥à¤•ृतिक-वैचारिक मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚ का गढ़ है- वरà¥à¤£-जाति और पितृसतà¥à¤¤à¤¾ आधारित मधà¥à¤¯à¤•ालीन बरà¥à¤¬à¤° सांसà¥à¤•ृति-वैचारिक मूलà¥à¤¯ इस पटà¥à¤Ÿà¥€ के रीढ़ हैं, जो यहां के जीवन के सà¤à¥€ रूपों में पग-पग पर दिखाई देते हैं। यहां की आम जनता ही नहीं, बौदà¥à¤§à¤¿à¤•-सांसà¥à¤•ृतिक और साहितà¥à¤¯à¤¿à¤• आंदोलनों की अगà¥à¤µà¤¾à¤ˆ करने वाला बहà¥à¤²à¤¾à¤‚श हिसà¥à¤¸à¤¾ यानि इस पटà¥à¤Ÿà¥€ का बहà¥à¤²à¤¾à¤‚श बौदà¥à¤§à¤¿à¤• वरà¥à¤— वरà¥à¤£-जाति और पितृसतà¥à¤¤à¤¾ के कीचड़ में धंसा हà¥à¤† है और जाने-अनजाने इनà¥à¤¹à¥€à¤‚ मूलà¥à¤¯à¥‹à¤‚-विचारों को पलà¥à¤²à¤µà¤¿à¤¤-पà¥à¤·à¥à¤ªà¤¿à¤¤ करता है। हिंदी पटà¥à¤Ÿà¥€ का वामपंथी वैचारिक-सांसà¥à¤•ृति और साहितà¥à¤¯à¤¿à¤• आंदोलन à¤à¥€ इस दायरे से बाहर नहीं निकल पाया। जो चंद लेखक चà¥à¤ªà¤šà¤¾à¤ª इस पटà¥à¤Ÿà¥€ की वैचारिक जड़ता को तोड़ने की निरंतर कोशिश कर रहे हैं, उनमें ओमपà¥à¤°à¤•ाश कशà¥à¤¯à¤ª à¤à¤• हैं। अà¤à¥€ हाल में आई उनकी किताब पेरियार ‘ई. वी. रामासामी, à¤à¤¾à¤°à¤¤ के वॉलà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤°â€™ इसका मà¥à¤•मà¥à¤®à¤² साकà¥à¤·à¥à¤¯ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करती है।
ई.वी. रामासामी नायकर ‘पेरियार’ à¤à¤¾à¤°à¤¤ की पà¥à¤°à¤—तिशील शà¥à¤°à¤®à¤£ बहà¥à¤œà¤¨-परंपरा के à¤à¤¸à¥‡ लेखक हैं जिनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤¾à¤°à¤¤ के दà¥à¤µà¤¿à¤œà¥‹à¤‚ की आरà¥à¤¯ शà¥à¤°à¥‡à¤·à¥à¤ ता और मरà¥à¤¦à¤µà¤¾à¤¦à¥€ दंà¤, राषà¥à¤Ÿà¥à¤°à¤µà¤¾à¤¦, बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¤µà¤¾à¤¦, वरà¥à¤£-जाति वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾, बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¤µà¤¾à¤¦à¥€ पितृसतà¥à¤¤à¤¾ और शोषण-अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ के सà¤à¥€ रूपों को चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ दी। वरà¥à¤šà¤¸à¥à¤µ, अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯, असमानता और दासता का कोई रूप उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ सà¥à¤µà¥€à¤•ार नहीं था। उनकी आवेगातà¥à¤®à¤• अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ पढ़ने वालों को हिला देती है। तरà¥à¤•-पदà¥à¤§à¤¤à¤¿, तेवर और अà¤à¤¿à¤µà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ की शैली के चलते उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ यूनेसà¥à¤•ो ने 1970 में “दकà¥à¤·à¤¿à¤£à¥€ à¤à¤¶à¤¿à¤¯à¤¾ का सà¥à¤•रात†कहा था।
इस किताब की à¤à¥‚मिका में अधà¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤¾ कंवल à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€ ने इस किताब की मूल अंतरà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤à¥ को रेखांकित करते हà¥à¤ लिखा है कि “ पेरियार के संपूरà¥à¤£ जीवन-संघरà¥à¤· को यदि à¤à¤• नाम देना हो, तो वह उनका ‘आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¥à¤®à¤¾à¤¨ आंदोलन’ है। और लेखक के इस महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ शोध-गà¥à¤°à¤‚थ के मूल में à¤à¥€ मà¥à¤–à¥à¤¯ रूप से ‘ आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¥à¤®à¤¾à¤¨ आंदोलन’ है। हिंदी में यह वसà¥à¤¤à¥à¤¤: पहला गà¥à¤°à¤‚थ है, जिसमें इतने विसà¥à¤¤à¤¾à¤° से इस कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारी आंदोलन को रेखांकित किया गया है।â€
पेरियार ने बहà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ में आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¥à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¤°à¤¨à¥‡ के लिठ1925 से आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¥à¤®à¤¾à¤¨ आंदोलन (सेलà¥à¤« रिसà¥à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ मूवमेंट) चलाया। कà¥à¤› अधà¥à¤¯à¥‡à¤¤à¤¾ इसकी औपचारिक शà¥à¤°à¥‚आत 1926 मानते हैं। सच यह है कि पेरियार के लेखन और संघरà¥à¤· का केंदà¥à¤°à¥€à¤¯ ततà¥à¤µ बहà¥à¤œà¤¨à¥‹à¤‚ में आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¥à¤®à¤¾à¤¨ à¤à¤°à¤¨à¤¾ था। पेरियार इस तथà¥à¤¯ से अचà¥à¤›à¥€ तरह अवगत थे कि यदि किसी वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ या समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ में लेशमातà¥à¤° à¤à¥€ दासता, गà¥à¤²à¤¾à¤®à¥€ या खà¥à¤¦ को दोयम दरà¥à¤œà¥‡ का समà¤à¤¨à¥‡ का à¤à¤¾à¤µ है, तो वह पूरी तरह आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¥à¤®à¤¾à¤¨ (सेलà¥à¤« रिसà¥à¤ªà¥‡à¤•à¥à¤Ÿ) हासिल नहीं कर सकता है। पूरी तरह आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¥à¤®à¤¾à¤¨ हासिल करने का मतलब है, खà¥à¤¦ को मानवीय गरिमा के संदरà¥à¤ में किसी से à¤à¥€ कमतर न समà¤à¤¨à¤¾à¥¤ इसके लिठजरूरी है कि हर इंसान खà¥à¤¦ को और दूसरे इंसान को समान रूप से सà¥à¤µà¤¤à¤‚तà¥à¤° और बराबर का समà¤à¥‡ और उसे अपना बंधॠसà¥à¤µà¥€à¤•ार करे। वही वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ या समà¥à¤¦à¤¾à¤¯ पूरी तरह आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¥à¤®à¤¾à¤¨ की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ हासिल कर सकता है, जो सामाजिक, धारà¥à¤®à¤¿à¤•, सांसà¥à¤•ृतिक, राजनीतिक और आरà¥à¤¥à¤¿à¤• तौर पर किसी के अधीन न हो और न किसी के पà¥à¤°à¤à¥à¤¤à¥à¤µ à¤à¤µà¤‚ वरà¥à¤šà¤¸à¥à¤µ को सà¥à¤µà¥€à¤•ार करता हो।
अपने आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¥à¤®à¤¾à¤¨-आंदोलन के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯à¥‹à¤‚ को सà¥à¤ªà¤·à¥à¤Ÿ करते हà¥à¤ पेरियार लिखते हैं, “आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¥à¤®à¤¾à¤¨ आंदोलन का मकसद उन ताकतों का पता लगाना है, जो हमारी पà¥à¤°à¤—ति में बाधक बनी हà¥à¤ˆ हैं। यह उन ताकतों का मà¥à¤•ाबला करेगा, जो समाजवाद के खिलाफ काम करती हैं। यह समसà¥à¤¤ धारà¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤•à¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¾à¤µà¤¾à¤¦à¥€ ताकतों का विरोध करेगा।â€
पेरियार à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की à¤à¤• à¤à¤¸à¥€ दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ करते हैं, जिसमें हर मनà¥à¤·à¥à¤¯ की गरिमा का समान महतà¥à¤µ हो। कोई किसी का शोषण-उतà¥à¤ªà¥€à¤¡à¤¼à¤¨ न करे, न ही किसी की गरिमा को किसी à¤à¥€ आधार पर रौंदे। पेरियार का à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ का सपना मारà¥à¤•à¥à¤¸-à¤à¤‚गेलà¥à¤¸ के सामà¥à¤¯à¤µà¤¾à¤¦ के सपने से मेल खाता है। अपने लेख ‘à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ की दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾â€™ में अपने आदरà¥à¤¶ समाज की परिकलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ करते हà¥à¤ उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तमिल पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• इनि वारà¥à¤® उलà¥à¤²à¤—म में लिखा : नठविशà¥à¤µ में किसी को कà¥à¤› à¤à¥€ चà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥‡ या हड़पने की आवशà¥à¤¯à¤•ता ही नहीं पड़ेगी। पवितà¥à¤° नदियों जैसे कि गंगा के किनारे रहने वाले लोग उसके पानी की चोरी नहीं करेंगे। वे केवल उतना ही पानी लेंगे, जितना उनके लिठआवशà¥à¤¯à¤• है। à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के उपयोग के लिठवे पानी को दूसरों से छिपाकर नहीं रखेंगे। यदि किसी के पास उसकी आवशà¥à¤¯à¤•ता की वसà¥à¤¤à¥à¤à¤‚ पà¥à¤°à¤šà¥à¤° मातà¥à¤°à¤¾ में होंगी, तो वह चोरी के बारे में सोचेगा तक नहीं। इसी पà¥à¤°à¤•ार किसी को à¤à¥‚ठबोलने, धोखा देने या मकà¥à¤•ारी करने की आवशà¥à¤¯à¤•ता नहीं पड़ेगी। कà¥à¤¯à¥‹à¤‚कि, उससे उसे कोई पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤à¤¿ नहीं हो सकेगी। नशीले पेय किसी को नà¥à¤•सान नहीं पहà¥à¤‚चाà¤à¤‚गे। न कोई किसी की हतà¥à¤¯à¤¾ करने का खà¥à¤¯à¤¾à¤² दिल में लाà¤à¤—ा। वकà¥à¤¤ बिताने के नाम पर जà¥à¤† खेलने, शरà¥à¤¤ लगाने जैसे दà¥à¤°à¥à¤µà¥à¤¯à¤¸à¤¨ समापà¥à¤¤ हो जाà¤à¤‚गे। उनके कारण किसी को आरà¥à¤¥à¤¿à¤• बरबादी नहीं à¤à¥‡à¤²à¤¨à¥€ पड़ेगी।’’
वह आगे लिखते हैं, ‘‘पैसे की खातिर अथवा मजबूरी में किसी को वेशà¥à¤¯à¤¾à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ के लिठविवश नहीं होना पड़ेगा। सà¥à¤µà¤¾à¤à¤¿à¤®à¤¾à¤¨à¥€ समाज में कोई à¤à¥€ दूसरे पर शासन नहीं कर पाà¤à¤—ा। कोई किसी से पकà¥à¤·à¤ªà¤¾à¤¤ की उमà¥à¤®à¥€à¤¦ नहीं करेगा। à¤à¤¸à¥‡ समाज में जीवन और काम-संबंधों को लेकर लोगों का दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤•ोण उदार à¤à¤µà¤‚ मानवीय होगा। वे अपने सà¥à¤µà¤¾à¤¸à¥à¤¥à¥à¤¯ की देखà¤à¤¾à¤² करेंगे। पà¥à¤°à¤¤à¥à¤¯à¥‡à¤• वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ में आतà¥à¤®à¤¸à¤®à¥à¤®à¤¾à¤¨ की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾ होगी। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-पà¥à¤°à¥à¤· दोनों à¤à¤•-दूसरे की à¤à¤¾à¤µà¤¨à¤¾à¤“ं का समà¥à¤®à¤¾à¤¨ करेंगे और किसी का पà¥à¤°à¥‡à¤® बलातॠ(जबरन) हासिल करने की कोशिश नहीं की जाà¤à¤—ी। सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€-दासता के लिठकोई जगह नहीं होगी। पà¥à¤°à¥à¤· सतà¥à¤¤à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤•ता मिटेगी। दोनों में कोई à¤à¥€ à¤à¤•-दूसरे पर बल-पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— नहीं करेगा। आने वाले समाज में कहीं कोई वेशà¥à¤¯à¤¾à¤µà¥ƒà¤¤à¥à¤¤à¤¿ नहीं रहेगी।â€
à¤à¤µà¤¿à¤·à¥à¤¯ के जिस समाज का सपना पेरियार देखते हैं, उसकी à¤à¤¾à¤°à¤¤ में सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की पहली शरà¥à¤¤ वह अंबेडकर की तरह जाति के विनाश को मानते थे। उनका मानना था कि वरà¥à¤£-जाति की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठहिंदू-धरà¥à¤® की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की गई। वरà¥à¤£-जाति की रकà¥à¤·à¤¾ के लिठजनà¥à¤® लेने वाले ईशà¥à¤µà¤°à¥‹à¤‚ को गढ़ा गया है और मनà¥à¤¸à¥à¤®à¥ƒà¤¤à¤¿, रामायण, गीता और पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ की रचना की गई है। उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लिखा, “इस जाति-वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ ने à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯ समाज को जड़ और बरà¥à¤¬à¤° समाज में तबà¥à¤¦à¥€à¤² कर दिया है।†1959 में उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने लिखा, “हमारे देश में जाति के विनाश का मतलब है- à¤à¤—वान, धरà¥à¤®, शासà¥à¤¤à¥à¤° और बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ (बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¤µà¤¾à¤¦) का विनाश। जाति तà¤à¥€ खतà¥à¤® हो सकती है, जब ये चारों à¤à¥€ खतà¥à¤® हो जाà¤à¤‚। यदि इसमें से à¤à¤• à¤à¥€ बना रहता है, तो जाति का विनाश नहीं हो सकता।â€
लेकिन बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ के खातà¥à¤®à¥‡ से उनका सीधा मतलब बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¤µà¤¾à¤¦ के खातà¥à¤®à¥‡ से है। इस संदरà¥à¤ में वह लिखते हैं कि उनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ “बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£-पà¥à¤°à¥‡à¤¸ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£-विरोधी के रूप में चितà¥à¤°à¤¿à¤¤ किया गया है। किनà¥à¤¤à¥, मैं वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤—त रूप से किसी à¤à¥€ बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£ का दà¥à¤¶à¥à¤®à¤¨ नहीं हूं। à¤à¤•मातà¥à¤° तथà¥à¤¯ यह है कि मैं बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¤®à¤£à¤µà¤¾à¤¦ का धà¥à¤°-विरोधी हूं। मैंने कà¤à¥€ नहीं कहा कि बà¥à¤°à¤¾à¤¹à¥à¤®à¤£à¥‹à¤‚ को खतà¥à¤® किया जाना चाहिà¤à¥¤â€ पेरियार ने गैर-दà¥à¤µà¤¿à¤œà¥‹à¤‚ और महिलाओं से आहà¥à¤µà¤¾à¤¨ किया कि वे “उस ईशà¥à¤µà¤° को नषà¥à¤Ÿ कर दें, जो तà¥à¤®à¥à¤¹à¥‡à¤‚ शूदà¥à¤° कहता है। उन पà¥à¤°à¤¾à¤£à¥‹à¤‚ और महाकावà¥à¤¯à¥‹à¤‚ को नषà¥à¤Ÿ कर दो, जो हिंदू ईशà¥à¤µà¤° को सशकà¥à¤¤ बनाते हैं।â€
पेरियार पितृसतà¥à¤¤à¤¾ के मूल ढांचे को सीधी चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¥€ देते हैं। पेरियार की कà¥à¤°à¤¾à¤‚तिकारी पà¥à¤°à¤—तिशील सोच सबसे जà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¾ उनके सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€ संबंधी चिंतन में सामने आती है। पेरियार महिलाओं की ‘पवितà¥à¤°à¤¤à¤¾â€™ या सà¥à¤¤à¥à¤°à¥€à¤¤à¥à¤µ की दमनकारी अवधारणा के कटà¥-विरोधी थे। उनका कहना था कि “यह मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ कि केवल महिलाओं के लिठपवितà¥à¤°à¤¤à¤¾ आवशà¥à¤¯à¤• है, पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ के लिठनहीं; इस विचार पर आधारित है कि महिलाà¤à¤‚ पà¥à¤°à¥à¤·à¥‹à¤‚ की संपतà¥à¤¤à¤¿ हैं। यह मानà¥à¤¯à¤¤à¤¾ वरà¥à¤¤à¤®à¤¾à¤¨ में महिलाओं को निकृषà¥à¤Ÿ दरà¥à¤œà¥‡ का साबित करने की दà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤• है।†पेरियार महिलाओं के शिकà¥à¤·à¤¾ पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने, काम करने, अपने ढंग से जीने और पà¥à¤¯à¤¾à¤° करने के अधिकार के जबरदसà¥à¤¤ समरà¥à¤¥à¤• थे।
शà¥à¤°à¤® और पूंजी के संघरà¥à¤· में पेरियार शà¥à¤°à¤®à¤¿à¤• वरà¥à¤— के साथ खड़े होते हैं। वह साफ शबà¥à¤¦à¥‹à¤‚ में लिखते हैं कि “यह शà¥à¤°à¤®à¤¿à¤• ही है, जो विशà¥à¤µ में सब कà¥à¤› बनाता है। लेकिन, यह शà¥à¤°à¤®à¤¿à¤• ही चिंताओं, कठिनाइयों और दà¥à¤ƒà¤–ों से गà¥à¤œà¤°à¤¤à¤¾ है।†पेरियार ने à¤à¤• à¤à¤¸à¥‡ समाज की कलà¥à¤ªà¤¨à¤¾ की जिसमें शोषण और अनà¥à¤¯à¤¾à¤¯ का नामो-निशान नहीं होगा। उस दà¥à¤¨à¤¿à¤¯à¤¾ का खाका खींचते हà¥à¤ वह लिखते हैं, “à¤à¤• समय à¤à¤¸à¤¾ आà¤à¤—ा, जब धन-संपदा को सिकà¥à¤•ों में नहीं आंका जाà¤à¤—ा। न सरकार की जरूरत रहेगी। किसी à¤à¥€ मनà¥à¤·à¥à¤¯ को जीने के लिठकठोर परिशà¥à¤°à¤® नहीं करना पड़ेगा। à¤à¤¸à¤¾ कोई काम नहीं होगा, जिसे ओछा माना जाठया जिसके कारण वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ को हेय दृषà¥à¤Ÿà¤¿ से देखा जाà¤à¥¤â€
12 अधà¥à¤¯à¤¾à¤¯à¥‹à¤‚ में बंटी ओमपà¥à¤°à¤•ाश कशà¥à¤¯à¤ª करीब 600 पृषà¥à¤ ों की यह किताब पेरियार के वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ, चिंतन और संघरà¥à¤· के अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ के लिठमहतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ सामगà¥à¤°à¥€ हिंदी में उपलबà¥à¤§ कराती है।
किताब- पेरियार ई. वी. रामासामी, à¤à¤¾à¤°à¤¤ के वॉलà¥à¤Ÿà¥‡à¤¯à¤°
लेखक- ओमपà¥à¤°à¤•ाश कशà¥à¤¯à¤ª
पà¥à¤°à¤•ाश- सेतॠपà¥à¤°à¤•ाशन
मूलà¥à¤¯- 595
(लेखक और वरिषà¥à¤ पतà¥à¤°à¤•ार डॉ. सिदà¥à¤§à¤¾à¤°à¥à¤¥ की समीकà¥à¤·à¤¾à¥¤)