M N Roy

एम. एन. राय (1887-1954 ई.) अनेक दृष्टियों से विलक्षण व्यक्ति थे। उन्होंने कार्य और विचार, दोनों क्षेत्रों में अपनी विशिष्टता की छाप छोड़ी है। कार्यक्षेत्र में वे निष्ठावान, कर्मठ क्रान्तिकारी थे। विचारक्षेत्र में उनका विकास मौलिक सामाजिक दार्शनिक के रूप में हुआ। उनका राजनीतिक जीवन तीन चरणों से गुजरा है। जीवन का आरम्भ उत्कट राष्ट्रवादी के रूप में हुआ, बाद में वे उत्कट कम्युनिस्ट हुए और अन्त में वे सृजनात्मक रेडिकल ह्यूमनिस्ट विचारक के रूप में विख्यात हुए। मैक्सिको में कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना कर सोवियत संघ के बाहर कम्युनिस्ट पार्टी के वे प्रथम संस्थापक बने। उपनिवेशों के राष्ट्रीय स्वाधीनता आन्दोलनों में पूँजीवादी वर्गों की भूमिका के प्रश्न पर राय का लेनिन से मतभेद था। कम्युनिस्ट अन्तरराष्ट्रीय संघ के दूसरे सम्मेलन में लेनिन और एम. एन. राय, दोनों की थीसिसों को स्वीकार कर लिया गया। एम. एन. राय कम्युनिस्ट अन्तरराष्ट्रीय संघ की नीति-निर्धारण समितियों में उच्च स्थानों पर रहे। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी का उन्हें संस्थापक माना जाता है। द्वितीय महायुद्ध की समाप्ति के बाद एम. एन. राय ने कम्युनिज्म और मासिज्म से भिन्न अपने मौलिक विचारों को प्रकट किया। मार्क्सवाद से उनका मुख्य मतभेद मानव-इतिहास में विचारों की भूमिका और नैतिक मूल्यों पर जोर देने के प्रश्न पर था। उनके विचारों को 'रेडिकल ह्यूमनिज्म के 22 सिद्धान्त' के नाम से जाना जाता है। उन्होंने 'नव मानववाद' का . घोषणा-पत्र भी जारी किया। एम. एन. राय बौद्धिक क्षेत्र में महान विचारक थे। वे सदैव मौलिक विचारों के स्रोत रहे। उनके जीवन में स्वतन्त्रता ही उनकी मौलिक प्रेरणा रही और उसी के लिए अपना सारा जीवन लगा दिया।