Leo Tolstoy

लेव तोलस्तोय का जन्म 28 अगस्त (नए कैलेण्डर के मुताबिक 9 सितम्बर) 1828 को मास्को के दक्षिणी भाग में स्थित तुला प्रोविंस के यास्याना पोल्याना नामक स्थान पर हुआ था। तोलस्तोय की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई थी। तोलस्तोय ने राजनयिक या कूटनीतिज्ञ बनने के विचार से कजान विश्वविद्यालय के प्राच्य विद्या विभाग में दाखिला लिया। उनके उपन्यास—'फैमिली हैप्पीनेस' (1859) में सच्चे सुख की तलाश; 'द कोसेक' (1863) में रूसोवादी प्राकृतिक व शुद्ध जीवन का दृष्टिकोण; 'वार एण्ड पीस' (1869) में मूल्यों व प्रतिबद्धता की तलाश व 'अन्ना कैरेनिना' (1876) में पात्र लेविन के अबूझ प्रश्न व सन्देह— सभी जीवन की अर्थवत्ता की तलाश ही हैं। एक प्रकार की नैतिक एकता, दृष्टिकोण की तीक्ष्णता इनकी रचनाओं में प्रारम्भ से ही मौजूद है। 1880 के दशक तक तोलस्तोय सम्पूर्ण विश्व में ख्याति प्राप्त कर चुके थे। 1880 के दशक की शुरुआत में तोलस्तोय ने 'एन एक्जामिनेशन ऑफ डॉग्मैटिक थियोलॉजी' (1880), 'यूनियन एण्ड ट्रांसलेशन ऑफ द फोर गास्पैल्स' (1881), 'व्हाट आई बिलीव' (1884) जैसी रचनाएँ लिखीं। 1893 में एक अन्य महत्त्वपूर्ण कृति आई 'द किंगडम ऑफ गॉड इज विदिन यू'। इसके बाद तोलस्तोय ने 'द क्रिश्चियन टीचिंग्स' (1898), 'रिलिजन एण्ड मोरैलिटी' (1893), 'रिप्लाई टू द साइनोड्स इडिक्ट ऑफ एक्सकम्युनिकेशन' (1901) व 'व्हाट इज रिलिजन; एण्ड वेअर इन लाइज इट्स एसेन्स' (1902) जैसी धार्मिक विचारों वाली रचनाएँ लिखीं। तोलस्तोय की एक कहानी 'द डैथ ऑफ इवान इलिच' (1886) को उनकी महान् रचनाओं में शामिल किया जाता है। 1899 में तोलस्तोय का महत्त्वपूर्ण उपन्यास रिजरेक्शन' आया। लगभग इसी समय में तोलस्तोय ने 'व्हाट इज आर्ट' (1898) नामक रचना भी लिखी। उनकी एक अन्य कृति 'हाजी मुराद' 1904 की है। 1910 में उन्होंने अपने पैतृक गाँव यास्याना पोल्याना को हमेशा के लिए छोड़ने का निश्चय कर अपनी पुत्री एलेक्जेण्ड्रा व अपने डॉक्टर के साथ प्रस्थान किया। 7 नवम्बर (नई तिथि, 20 नवम्बर), 1910 को निमोनिया के कारण हृदयगति बन्द हो जाने से ऐस्टापोवो नामक रेलवे स्टेशन (रयाजान प्रोविंस) के स्टेशन-मास्टर के घर पर उनका देहान्त हो गया।