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Ratanchand Jain
जन्म 1939, श्रीडूंगरगढ़ (राजस्थान)। स्कूली पढ़ाई के बीच में ही नई सोच के सुधारकों की संगत में अनौपचारिक शिक्षा। सरिता, आचार आदि पत्रिकाओं में समाज-सुधार और रूढ़ियों के विरोध में लेखन। पत्रकारिता एवं सामाजिक संस्थाओं से जुड़ाव। तरुण संघ, कोलकाता के सामाजिक क्रांति के प्रणेता भंवरमल सिंघी, वाराणसी से प्रकाशित धार्मिक-क्रांति के मुखपत्र 'आचार' के प्रणेता शरद्कुमार साधक, ब्रिटेन प्रवासी गांधीवादी सतीशकुमार, चिन्तक डॉ. छगन मोहता, जनकवि हरीश भादानी के सान्निध्य और 'वातायन' त्रैमासिक की बैठकों में नियमित विचार-विमर्श से उपजे पोथी-प्रेम के परिणामस्वरूप विचार-संग्रह से आत्मिक जुड़ाव। सर्जना प्रेरक प्रसंग, सर्जना प्रेरक सूक्तियां और बुद्धि की प्रयोगशाला : नास्तिकता नाम से संकलितसम्पादित पुस्तकें प्रकाशित।