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Dayalchandra soni
जन्म-सलूम्बर 28-7-1919। विद्याभवन, उदयपुर से हाईस्कूल करके सन् 36 में वहीं अध्यापक नियुक्त एवं सन् 41 से 55 तक गांधेय बुनियादी शिक्षा में सफल मौलिक प्रयोग। जामिया मिल्लिया दिल्ली में डॉ. जाकिर हुसैन से, सेवाग्राम में आशादेवी आर्यनायकम तथा गांधीजी से एवं पवनार में विनोबा से बुनियादी शिक्षा की बोध प्राप्ति। नानाभाई भट्ट के नेतृत्व में सन् 54 में 18 भारतीय ग्रामीण शिक्षाविदों के दल में डेनिश फ़ोक हाईस्कूलों का अध्ययन। सन् 56 में अनुशासनहीनता के आरोप में विद्याभवन से निष्कासित। तेरह वर्षों के संकट के बाद सन् 69 में सेवामंदिर उदयपुर में साक्षरता कार्य में मौलिक प्रयोग। सन् 73 से 77 तक टोरोटों की संस्था 'वर्ल्ड लिटरेसी ऑफ़ केनाडा' का प्रतिनिधित्व करते हुए उससे सहायित संस्थाओं के साक्षरता कार्य से पूरे भारत में जुड़ाव। सन् 77 से जयप्रकाशजी के 'लोकसमिति' के विचार से प्रेरित होकर अपनी बस्ती में लोकानुशासन का मौलिक प्रयोग। सन् 88 से 94 तक सेवामंदिर उदयपुर में लोकवाणी एवं लोक संस्कृति के विकास का मौलिक कार्य। सन् 92 में प्रस्तुत पुस्तक (अनौपचारिक शिक्षा का सही स्वरूप) पर उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा 'मदनमोहन मालवीय पुरस्कार' से सम्मानित। अन्य प्रकाशन-बुनियादी शिक्षा क्या और कैसे? मूल उद्योग, खेती और खादी। अक्षरदात्री माँ, वेल्दीफिशर। अनौपचारिक शिक्षा; संकल्पना और दिशाएँ। वृक्षकथा। लोकानुशासन री भूमिका तथा निष्ठा। नारी महिमा मंजूरी। शिक्षांजलि। वर्तमान प्रौढ़ शिक्षा की चुनौती। मत्स्यबकुलीकरणोपाख्यान। बाबा आम्टे। स्वराज की प्रौढ़ शिक्षा, लोकानुशासन। म्हूँ अणभणियो शिक्षित हूँ। Pedagogy in the Bhagawadgeeta, Motivational Aspects of Adult Education in India. तथा शिक्षा विषयकलगभग 400 मौलिक लेख।