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Ramesh Chandra Shah
अलमोड़ा में 1937 में जन्मे श्री रमेशचंद्र शाह की शिक्षा अलमोड़ा और इलाहाबाद में हुई। भोपाल के शासकीय हमीदिया महाविद्यालय से अंग्रेज़ी विभाग के अध्यक्ष के रूप में सेवानिवृत्त श्री शाह फ़िलहाल भोपाल में ही निराला सृजन पीठ पर आसीन हैं। 'गोबर गणेश', 'क़िस्सा गुलाम', 'पूर्वापर', 'आख़िरी दिन' तथा 'पुनर्वास' जैसे बहुप्रशंसित उपन्यासों, ‘जंगल में आग', 'मुहल्ले का रावण' तथा 'मानपत्र' जैसे कहानी-संग्रहों तथा 'कछुए की पीठ पर', 'हरिश्चन्द्र आओ', 'नदी भागती आयी' और 'प्यारे मुचकुन्द को' जैसे कविता-संग्रहों के सर्जक रमेशचंद्र शाह की प्रसिद्धि एक चिन्तक, आलोचक के रूप में भी उल्लेखनीय है। उनकी रचनाएँ अंग्रेज़ी एवं अन्य भारतीय भाषाओं में अनूदित होती रही हैं। श्री रमेशचंद्र शाह की कविता को म.प्र. साहित्य अकादमी के पुरस्कार, उपन्यास लेखन को भारतीय भाषा परिषद्, कलकत्ता, उनके समग्र कृतित्व को मध्य प्रदेश शासन द्वारा 'शिखर सम्मान' और आलोचना पुस्तक 'आलोचना का पक्ष' के लिए के. के. बिड़ला फाउण्डेशन के व्यास सम्मान से समादृत किया गया है।