Shree lal mohta

डॉ. श्रीलाल मोहता 30 अगस्त, 1943 को बीकानेर में जन्म आलोचक, लोक साहित्य के अध्येता और कोशकार, लोक का आलोक, मरु संस्कृति कोश, मथेरण कला एवं रंगों की कहानी : हरि महात्या की जबानी, निज आतम मंगल रूप सदा, गणगौर गाथा सहित कई पुस्तकें प्रकाशित। गुजराती, पंजाबी, उर्दू व राजस्थानी भाषा के कई कवियों व कहानीकारों की रचनाओं का हिंदी में अनुवाद। भारतीय संस्कृति संसद, कोलकाता द्वारा लोक कला के क्षेत्र में विशिष्ट संस्कृतिकर्मी; मरुधारा, कोलकाता द्वारा संस्कृति-संरक्षक आदि पुरस्कारों से सम्मानित।