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Vang Chii By Manish Vaidya
ये कहानियाँ उत्तर भूमण्डलीकृत हमारे समाज का वीभत्स, क्रूर लेकिन मुस्कराता और अपनी चमक- दमक से हमें लुभाता हुआ चेहरा हमारे सामने लाता है। मानवीय संवेदनाओं के चितेरे मनीष ने आज के दौर को अनूठे ढंग और खूबी से प्रस्तुत किया है और उसमें भी वे ख़ासकर छोटे-छोटे हुनरमन्द लोगों के रोजगार के कम या बन्द होने की चिन्ता को कहानी की केन्द्रीय चिन्ता बनाकर बड़े फ़लक पर ले जाते हैं या लगातार टूटते गाँव-क़स्बों को जिस शिद्दत और अपनेपन से सामने रखते हैं, वह साबित करता है कि अपने गाँव की मिट्टी से जुड़े रहने के साथ मनीष समाज में तेजी से घट रहे बदलावों और छोटे तथा दबे-कुचले लोगों के लिए सतत क्रूर होते जा रहे समय की नब्ज़ को पहचानते हैं और अपने किरदारों के जरिये उन्हें अपनी कहानियों में जगह देते हैं। दुनिया के एक बाजार में तब्दील होते जाने और हमारे बीच से मनुष्यता, प्रेम और करुणा के कमतर होते जाने की पीड़ा को व्यक्त करती बड़बोलेपन और नारेबाज़ी से दूर उनकी यथार्थवादी कहानियों में विचार अण्डरटोन में भीनी गन्ध की तरह पाठक को छूकर निकल जाता है लेकिन उस गन्ध की महक गहरे तक धँसकर पाठक के मन में लम्बे वक़्त तक बनी रहती है।
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₹275.00 -
Bharatpur Lut Gayo By Vibha Rani
भरतपुर लुट गयो नया कहानी संग्रह है प्रख्यात कथाकार विभा रानी का। उनकी कथा-सामर्थ्य का
एक और साक्ष्य । इस पुस्तक में संकलित कहानियों को किसी एक सूत्र में नहीं बाँधा जा सकता, पर यही
इस संग्रह की खूबी और ताकत भी है। इन कहानियों में किसी किस्म का कोई दोहराव नहीं है, न अन्तर्वस्तु का और न ही भाषा व शैली का ।
हर कहानी का कथ्य और परिवेश अन्य सब कहानियों से अलग है। शिल्प की विविधता भी भरपूर है, जिसमें वर्णन और आख्यान से लेकर इकबालिया बयान तक,
अनेक रंग-ढंग शामिल हैं। पात्रों और परिवेश के मुताबिक भाषा और शैली बदल जाती है।
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Pagdandi By Shraddha Thavait
इधर कुछ बरसों से हिन्दी में लिखी जा रही अधिकांश कहानियाँ दो तरह की अति का शिकार हैं। एक श्रेणी उन कहानियों की है जो हद दर्जे की अमूर्त हैं, किसी कथाभूमि के बगैर हवा में तिरती हुई । निराकार । दूसरी श्रेणी उन कहानियों की है जो ठोस कथाभूमि पर खड़ी तो रहती हैं पर इतनी ठस होती हैं कि उनमें प्रतीक, व्यंजना और अन्यार्थ की गुंजाइश नहीं होती । खुशी की बात है कि श्रद्धा थवाईत की कहानियाँ इन दोनों अतियों या कमजोरियों से मुक्त हैं। उनका यह कहानी संग्रह पगडण्डी इसका साक्ष्य है। इस संग्रह की कहानियों में जहाँ अन्तर्वस्तु का विस्तार है वहीं भाषा और शिल्प में एक सहज पारदर्शिता है जो कहानियों को काफी पठनीय बनाती है और पाठक को बरबस बाँधे रखती है।
₹299.00 -
Parinde Ka Intazar Sa Kuchh – Neelakshi Singh
Parinde Ka Intazar Sa Kuchh – Neelakshi Singh
परिंदे का इंतजार-सा कुछ –नीलाक्षी सिंह
नीलाक्षी सिंह की कहानियाँ मनुष्यता के पक्ष में एक अपील हैं। निरन्तर तिरोहित हो रही मानवीय संवेदना उनकी कहानियों का केन्द्रीय सरोकार है। परिन्दे का इन्तज़ार सा कुछ की कहानियाँ इसी तिरोहित हो रही मानवीयता को परिवार, समाज, सम्प्रदाय आदि के विभिन्न स्तरों पर प्रस्तुत करती हैं।
₹325.00